Friday, June 2, 2023

कोई आप पर हंस रहा है तो हंसने दो

 कोई आप पर हंस रहा है तो हंसने दो कोई आपको ताने मार रहा है तो मरने दो कोई साजिश कर रहा है तो करने दो  कोई आपके खिलाफ किसी के कान भर रहा है तो मरने दो सिर्फ सिर्फ एक बात याद रखो जिस दिन आप यह सब बकवास बातें Egnore करना सीख जाओगे उसके बाद आप जिंदगी में बहुत आगे जाओगे रास्ते कठिन है संभल कर चलना मेरे दोस्त रास्ते कठिन है संभल कर चलना मेरे दोस्त मंजिल अभी दूर है बस चलते रहना मेरे दोस्त मुसाफिर शौक से नहीं बनते यह भूख बनाती है अरे मुसाफिर शौक से नहीं बनते यह भूख बनाती है यह जिंदगी है जनाब हर कदम पर आजमाती है

दोस्त अगर आप यह सोचते हो कि मेरे पास तो कम पैसे हैं

 दोस्त अगर आप यह सोचते हो कि मेरे पास तो कम पैसे हैं और मैं सफल नहीं बन सकता तो आप बिल्कुल गलत सोचते हो   दोस्त अगर आपके अंदर सीखने और पढ़ने का जुनून है तो फिर पैसा आपके लिए मैटर नहीं करता है देखो जमाना बदल चुका है अगर आप 200 से ₹300 प्रति महीना खुद के लिए Ekhatta कर सकते हो तो आप इंटरनेट और यूट्यूब की सहायता से अपनी पढ़ाई को घर बैठे पूरा कर सकते हो  बस आपको मेहनत दिलो जान से करना पड़ेगा दोस्त आधी रोटी कम खाना लेकिन अपनी पढ़ाई को कभी अधूरा मत छोड़ना अगर आज आपके पास पैसा नहीं है तो घबराओ मत बस मेहनत करते रहो जिस दिन आप सफल बन जाओगे उस दिन आपके पास पैसा भी होगा और आपका नाम भी होगा फिर कर लेना अपने सपने पूरे आज आप पर हंस रहे हैं जो कल वही लोग आप का गुणगान करेंगे करके दिखाओ कोई कमाल फिर सब  आप पर अभिमान करेंगे

Hindi kahani

 एक बूढ़ी औरत थी उसके तीन बेटे थे तीनों बेटों में बहुत प्रेम था बूढ़ी औरत इस बात से बहुत संतुष्ट थी लेकिन उसे एक बात की बड़ी चिंता रहती थी वास्तव में उसका बड़ा बेटा तो बहुत जिम्मेदार और मेहनती था हर काम में मां का हाथ बटाता था लेकिन दोनों छोटे बेटे बहुत आलसी थे हर काम को टालते रहते थे घर की कोई जिम्मेदारी नहीं निभाते थे खेत का सारा काम उसका बड़ा बेटा संभालता था और घर का सारा काम बेचारी उनकी मां को करना पड़ता था बड़े बेटे से उसकी हालत देखी नहीं जाती थी लेकिन कर भी क्या सकता था फिर एक दिन उसने अपनी मां को तीर्थ यात्रा पर जाने के लिए कहा Maa ने मना कर दिया क्योंकि उसे डर था कि सारा काम उसका बड़ा बेटा कैसे संभालेगा लेकिन अपने बेटे के बार-बार समझाने पर वह माना नहीं कर पाई और तीर्थयात्रा पर जाने के लिए तैयार हो गई बेटे को थोड़ा सुकून मिला कि कम से कम मां को थोड़ी राहत तो मिलेगी अपनी मां के चले जाने के बाद बड़े बेटे ने थोड़ा और जल्दी उठना शुरू कर दिया वह पहले घर का काम करता था तीनों के लिए खाना बनाता था फिर खेत जाता था  उसे अपने छोटे भाइयों से बड़ा स्नेह था इसलिए उनका काम ना करना उसे अखरता नहीं था मां की तरह ही उनकी जरूरतों को ध्यान रखता था इसी कारण उन्हें मां की कमी महसूस ही नहीं हुई  दो-चार दिन सब ठीक चल रहा था लेकिन फिर Ak दिन अचानक बड़े भाई की तबीयत खराब हो गई उसे तेज बुखार आ गया वह बिस्तर से भी नहीं उठ पा रहा था उसकी हालत देखकर दोनों भाई घबरा गए वो Gair जिम्मेदार जरूरत थे लेकिन अपने बड़े भाई से बहुत प्रेम करते थे दोनों भाई अपने बड़े भाई से पूछ पूछ कर सारा काम करने की कोशिश कर रहे थे और इसके साथ-साथ अपने भाई का भी ख्याल रख रहे थे क्योंकि यह जो लगाओ होता है ना यह सब करवा लेता है  बड़े भाई को ठीक होने में हफ्ते भर का समय लग गया लेकिन एक हफ्ते में बहुत कुछ बदल गया था अब दोनों छोटे भाइयों को यह बात अच्छी तरह समझ में आ गई थी कि मां और बड़े भइया कितना काम करते हैं दोनों को अपनी गलती का एहसास हो चुका था अब उनको काम करना अच्छा लगने लगा था कुछ दिनों बाद जब Maa तीर्थ यात्रा से लौट के आई तो उनके अंदर आए बदलाव को देखकर बहुत खुश हुई  बड़े बेटे से पूछा तो उसने सारी बात बताई उसने कहा मां जो होता है अच्छे के लिए होता है  अगर मैं बीमार ना होता तो मेरे दोनों छोटे भाई जिम्मेदार ना बनते ऐसा कहकर अपने दोनों भाइयों को गले से लगा लेता है

आपके जीवन में असफलता तभी शुरू हो जाती है

 आपके जीवन में असफलता तभी शुरू हो जाती है जब आप सुबह उठकर 5 मिनट और सोने का फैसला लेते हो और यही चीजें आपको आलसी भी बनाती हैं और पढ़ाई में आलस करने का मतलब अपने माता-पिता के बलिदानों का मजाक उड़ाना है इसीलिए कभी आलस मत करना बस मेहनत करते रहना क्योंकि मेहनत एक ऐसी चीज है जो आपको उस मुकाम तक ले कर जाएगी जहां आप जाना चाहते हो और दूसरों की अपेक्षा अगर आपको सफलता मिलने में देरी हो रही है तो उदास मत होना क्योंकि छोटे घर जल्दी बनते हैं और महल बनने में समय लगता है

Sunday, April 2, 2023

पहली मुलाकात फेसबुक के जरिए से हुई थी

मैं एक लड़की से बहुत प्यार करता था हम लोगों की मुलाकात फेसबुक के जरिए से हुई थी पहले तो हम लोग सिर्फ फेसबुक पर SMS के जरिए बात किया करते थे उसके बाद कॉल पर बात होने लगी दोस्ती हो गई फिर दोस्ती प्यार में कब बदल गई पता ही नहीं चला 5 दिनों में हम अनजान लोग एक दूसरे की जान बन चुके थे हम दोनों लोग रात रात भर बात करते थे उस लड़की का नाम मुस्कान था 
मुस्कान बहुत समझदार किस्म की लड़की थी मुस्कान हमसे अक्सर कहती रहती थी
कि तुम पढ़ाई लिखाई पर ध्यान दो बात तो हमें जिंदगी भर करनी है लेकिन मैं मुस्कान से बहुत प्यार करता था इसलिए मुस्कान से बिना बात किए रह नहीं पाता था कुछ दिनों बाद मुस्कान ने हमसे बात करना कम कर दिया मुझे लगा कि मुस्कान मुझसे दूर हो रही है मैंने मुस्कान से पूछा कि तुम ऐसा क्यों कर रही हो तो मुस्कान ने हमसे सवाल किया कि बताओ तुमने अब तक अपनी जिंदगी में क्या किया है और क्या कमाया है क्या तुम्हारे पास अपना खुद का घर भी है जिसमें हम दोनों लोग शादी के बाद रह सके
उस वक्त मेरे पास मुस्कान के इन सवालों का जवाब नहीं थे क्योंकि मैं सिर्फ ₹15000 की नौकरी करता था फिर मुस्कान ने कहा कि तुम दो-तीन साल के लिए मुंबई चले जाओ और अपने करियर पर फोकस करो . मैंने मुस्कान को बहुत समझाया और कहा कि ₹15000 बहुत होते हैं मैं तुमको हर खुशी दूंगा तुम्हें मुझे तुम दूर मत भेजो मुस्कान ने कहा कि मैं तुम्हें छोड़ नहीं रही हूं मुझे भी अपने करियर पर फोकस करना है मुझे सारी बात समझ आ गई और मैंने आंख बंद करके भरोसा कर लिया 

थोड़े ही दिनों में मैं मुंबई चला गया मुस्कान ने फोन करना कम कर दिया जब मैं फोन करता था तभी थोड़ी बहुत बात होती थी पर धीरे-धीरे मेरी कॉल उठाना भी मुस्कान ने कम कर दिया मुझे लगा कि मुस्कान अपने करियर पर फोकस कर रही होगी लेकिन बात तो कुछ और ही थी लगभग एक साल बाद मुस्कान की शादी तय हो गई लगभग 1 साल तक मुस्कान ने कोई कॉल नहीं की इधर से जब मैं कॉल करता था तो तब मेरी कॉल भी नहीं उठाई जाती थी फिर मैं वापस लौट आया मुस्कान से मिला मुस्कान ने बताया कि मेरी सगाई हो चुकी है और 6 महीने बाद मेरी शादी है मुझे तुम भूल जाओ संजू , मैंने कहा यही तुम्हारा कैरियर था तो मुझे बता देती पहले ही इतने दिनों से बेवकूफ क्यों बना रही थी

बस इतना ही बोल कर मैं फिर से मुंबई चला गया फिर लगभग 2 साल बाद मुस्कान एक दिन कपड़े खरीदने मॉल गई थी थे मुस्कान मुझे देखा और कहा कि तुम यहां क्या कर रहे हो मैंने जवाब दिया मैंने जवाब दिया मैं यह सोच रहा था कुछ कपड़े खरीद लूं मेरे हाथ में कुछ कपड़े थे तभी मुस्कान ने मुस्कुराते हुए कहा मेरे हस्बैंड तो ₹50000 कमाते हैं तुम तो आज भी ₹15000 की नौकरी कर रहे होगे मैंने कोई जवाब नहीं दिया मुस्कान ने कहा कि मुझे पता है कि तुम ने अपने करियर पर फोकस नहीं किया है इसीलिए तुम आज भी गरीब हो फिर भी मैं चुप रहा है थोड़ी देर में मुस्कान के हस्बैंड आए और बोले तुम मेरे बॉस को जानती हो क्या ?

मुस्कान को कुछ समझ नहीं आया और बोली नहीं मैं आपके बॉस को नहीं जानती तभी मुस्कान के हस्बैंड बोले तुम तो मेरे बॉस के साथ ही खड़ी हो यह मेरे बॉस है इनका महीने में एक करोड़ का टर्नओवर होता है यह बात सुनकर मुस्कान के होश उड़ गए मैंने साइड में बुलाया मुस्कान को और मुस्कान से कहा तुमने मुझे इसलिए छोड़ा था क्योंकि मैं ₹15000 की नौकरी करता था आज मैं तुम्हारे हस्बैंड को ₹50000 दे रहा हूं 


आपको अपना कीमती समय देने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद आप लोगों से बस मेरी एक और विनती है कि इस पोस्ट को ज्यादा से ज्यादा शेयर करें

Tuesday, March 28, 2023

लड़की कितने प्यार से झूठ बोलती है

 मेरे दोस्त का नाम संजु था वह एक लड़की से बहुत प्यार करता था लड़की का नाम मुसकान था वो दोनों एक दूसरे से बहुत प्यार करते थे संजू गरीब घर से बिलॉन्ग करता था परन्तु उसका दिल बहुत बड़ा था क्यों की जब भी मुस्कान कुछ भी मांगती थी तो संजू उसे जरूर लाकर देता था और साथ में संजू अपने घर वालों का बहुत ख्याल रखता था,



 एक दिन संजू काम करके घर वापस आ रहा था  तभी उसने पार्क में देखा कि उसकी गर्लफ्रेंड किसी और लड़के के साथ बैठी हुई थी संजू ने दूर से ही कॉल किया और पुछा तुम कहा पर हो मुस्कान बोली की मैं घर पर हूँ संजू ने पुछा घर पर क्या कर रही हो मुस्कान ने जवाब दिया मुझे बुखार आ गया है 


इसी लिए मैं लेटी हूँ तब संजू ने बताया कि तुमको मैंने पार्क में देखा लिया है बताओ वो लड़का कौन है मुस्कान ने तो पहले साफ मना कर दिया बार बार पोछने पर मुस्कान ने कहा जब तुमने सब कुछ देखा ही लिया है तो फिर क्यों पूछ रहे हो संजू को इस बात का बहुत दुख हुआ 

कभी किसी का दिल तोड़ना नहीं चाहिए बिना बड़ी वजह KE 



रास्ते में एक भिखारी बैठा हुआ था वह भिखारी संजू से भीख मांगने लगा संजू के पास पैसे तो नहीं पर हाथ में ढेर सारे फूल थे जो उसकी मुस्कान के लिए खरीदा था उसने सारे फूल भिखारी के सामने रख दिया फिर वह से चला गया, भिखारी ने सोचा की मैं फूलों का क्या करूँगा ऐसा करता हूँ कि इनको फेंक देता हूँ जैसे जब भिखारी उन फूलों को फेकने के लिए उठ ही रहा था तभी एक आदमी आया और बोला मुझे एक फूल दे दो और यह लो दस रूपए इससे ज्यादा मैं नहीं दे सकता भिखारी ने एक फूल उठा कर दे दिया 



उसे 10 रूपए मिले कुछ देर में सारे फूल बिक गये भिखारी को समझ  में आ गया कि ऐसे  माँगने से लोग पैसे नहीं देते भिखारी ने सोचा की क्यों न मैं फूल ही लाकर यहाँ  बैठ जाया करूँ ताकि मेरी कुछ कमाई हो सके और अगले ही दिन से भिखारी फूल लेकर बैठने लगा उसके फूल बहुत जल्दी बिक जाते थे क्यों की वह पार्क कपल लोगों के 




लिए  था लोग अपनी गर्लफ्रेंड को देने के लिए फूल लेते थे भिखारी कुछ ही दिनों बाद फूलों का ठेला लगाने लगा कुछ ही दिनों में दुकान भी खोल दिया. एक दिन संजू उसी दुकान पे फूल लेने पहुँच गये भिखारी संजू को देख कर पहचान गया उसने संजू को फूल दिया संजू ने पूछा कितने पैसे हुए


भिखारी ने कहा मैं आपसे पैसे कैसे ले सकता हूँ आप तो मेरे भगवान हो आखिर मैं आपका भगवान कैसे हो सकता हूँ तभी भिखारी ने कहा याद करिए  कुछ समय पहले यहाँ एक भिखारी भीख मांगता था और आपने उसे फूल दिया था उन फूलों के कारण आज मैं इस दुकान का मालिक बन गया हूं तबी संजू ने कहा मैं तुम्हारा भगवान नहीं हूं भगवान तो वह लड़की है जिसके लिए मैं फूल लाया था उसने मेरा दिल तोड़ दिया था इस लिए उसको फूल देने के बजाए  मैंने आपको दिया था 

फिर भी वह संजू को ही भगवान बोलता है दोस्तों आपकी नजर में भगवान कोन है कमेंट करके जरूर बताएं लड़का या लड़की


आप सभी को अपना कीमती समय देने के लिए धन्यवाद

Saturday, March 18, 2023

My Real Love Story / मेरी प्रेम कहानी

 मैं आज अपनी सच्ची कहानी आपके साथ साझा करने वाला हूँ, आप सभी लोग इस कहानी को आखिरी तक जरूर पढ़ें !

              ***( इस कहानी को मैं खुद ही लिख रहा हूँ ) ***


Thursday, March 16, 2023

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Wednesday, March 15, 2023

किस्मत वालों को मिलता है सच्चा प्यार

❤️ किस्मत वालों को मिलता है सच्चा प्यार नमन न्यू यॉर्क अपने बिजनेस मीटिंग के लिए गया था और अब वहा का सारा काम ख़तम कर के आज इंडिया लौटा था। नमन मुंबई एयरपोर्ट पर इंतजार कर रहा था अपने ड्राइवर का क्युकी उसके ड्राइवर ने बोला था कि वो एयरपोर्ट पिक करने के लिए आने वाला है, काफी टाइम हो गया था लेकिन वो नहीं आया और ना ही उसका कॉल लग रहा था, कुछ देर बाद नमन का फोन भी स्विचऑफ हो गया क्युकी चार्ज नहीं था। इंतज़ार करते करते बहोत टाइम हो गया था तो म नमन ने सोचा कि वो टैक्सी से ही चला जाए फिर वो अपना सारा सामान ले कर एयरपोर्ट से बाहर निकला और टैक्सी की राह देख रहा था कि कोई आए, तभी एक टैक्सी आते देख नमन उसे हाथ दिखा कर रोका और जैसे ही बैठने गया तो एक लड़की दूसरे साइड से टैक्सी में बैठ गई, नमन ने कहा कि ये टैक्सी उसने रोकी है तो वो बोली तो क्या हुआ बैठी तो मै पहले ना आप दूसरी टैक्सी लेलो,नमन फिर उससे कहा कि आपको किस तरफ जाना है उसने कहा मै कहीं भी जाऊ आपको उससे क्या मतलब, उसका ये सब सुन के नमन को थोड़ा गुस्सा आने लगा "एक तो मै कबसे इंतजार कर रहा हूं ड्राइवर नहीं आया मेरा और ये इधर मुझसे बेहस कर रही है।" फिर नमन भी टैक्सी में बैठ गया और बोला भईया चलो, वो लड़की ज्यादा कुछ नहीं बोली और आगे चल के उसका घर आ गया तो वो नमन से पहले ही उतर गई, और नमन आगे निकाल गया टैक्सी में, फिर जब नमन को प्यास लगा तो वो पानी पीने के लिए पीछे वाले सीट से पानी की बोतल लेने गया तो देखा उधर एक छोटा सा हंड पर्स था, जिसमें एक पैन कार्ड आधार कार्ड और एक छोटी सी डायरी थी। वो पर्स उस लड़की का था नमन ने ड्राइवर को बोला कि देखो ये उस लड़की का पर्स इधर छूट गया है तुम इससे पुलिस स्टेशन में जाके जमा कर देना फिर वो ड्राइवर बोलने लगा कि "नहीं साहब मै नहीं पड़ना चाहता ये पुलिस के चक्कर में वो दस सवाल पूछते है बार बार पोलिस स्टेशन बुलाते है मैं टेहेरा एक ड्राइवर, दिन भर गाड़ी चला के कुछ पैसे कमाता हूं अगर पुलिस स्टेशन के ही चक्कर काटते रह गया तो खाऊंगा क्या, साहब ये काम आप ही कर दो आप पुलिस स्टेशन जाके जमा कर देना। फिर नमन ने सोचा ठीक है "मै एक जिमेदर नागरिक होने के कारण ये तो कर ही सकता हूं।" और फिर नमन का घर आ गया नमन ड्राइवर को उसका भाडा दे कर उतर गया। नमन के घर में नमन अलावा उसके मम्मी पापा रहते है, नमन उनसे मिला उनका हाल चाल लिया और पूछा कि "ड्राइवर आया क्यों नहीं एयरपोर्ट पर मुझे लेने" तो मां ने बताया कि रास्ते में गाड़ी खराब हो गई तो उसने तुम्हे कॉल किया लेकिन तुम्हरा फोन ऑफ था तो उसने घर पर कॉल कर के बताया की वो गाड़ी ठीक करवाने के लिए जा रहा है, नमन ने कहा ठीक है और अपने कमरे में चला गया आराम करने। जब नमन शाम को सो कर उठा तो अपना कमरा ठीक करने में जुट गया जो कि बहोत बिखरा हुआ था, तभी नमन को वो उस लड़की का पर्स दिखा जो उससे गाड़ी में मिला था। नमन ने उसे खोला तो उसमे डायरी था उसे निकाल के देखा, उसमे कुछ फोन नंबर लिखे हुए थे। उसमे एक नाम था नीतू नमन ने उस नंबर पर कॉल किया और उससे बोला कि "मुझे एक पुर्स मिला गाड़ी में जिसमें ये डायरी है, उसमें तुम्हारा नाम है और एक पैन कार्ड और आधार कार्ड भी है", उसने पूछा कि "आधार कार्ड पर नाम क्या है" नमन आधार कार्ड पर देखा और बोला "अनिशा ", तो सामने से वो लड़की बोली हा ये मेरी दोस्त का पर्स है वो मुझे बोली थी कि उसका पुर्स कहीं खो गया है, मै उसे बता देती हूं, और आपका नंबर भी दे देती हूं वो आपको कॉल कर लेगी नमन ने कहा ठीक है। थोड़ी देर बाद एक नंबर से कॉल आता है, फोन उठाते ही सामने से एक लड़की बोलती हैं "मेरा पुर्स आपके पास है?" नमन ने कहा "आप कोन", तो वो बोली "वही जिसका पुर्स आपके पास है जिसमें मेरा कुछ बहोत ज़रूरी सामान है,' नमन ने कहा "हा मेरे पास है तुम उसे टेक्सी में भूल गई थी।" वो बोली "हां, कल आप मुझे डेली कैफ में मिल कर उसे लौटा सकते हैं?" मैंने कहा "हां", वो थैंक्यू बोल कर कॉल रख दी। अगले दिन नमन कैफे गया उसका पर्स लौटाने के लिए। नमन सही टाइम पर पहुंचा था लेकिन अनिशा लेट थी नमन रुका था उसके लिए। कुछ देर बाद वो आई, आज वो बिलुक अलग ही लग रही थी कल से, उसके लंबे घने बाल थे जो खुले हुए थे उसने सफ़ेद और नीले रंग का सलवार कुर्ता पहना था कनो में सुंदर से झुमके भी थे नमन उसे बस देखता ही रह गया वो धीरे धीरे नमन कि तरफ चली जा रही थी, नमन का ध्यान ही नहीं था वो बस उसे देखे जा रहा था फिर वो बोली "हेल्लो ध्यान कहा ह आपका मै कुछ पूछ रही हूं।" तो नमन जल्दी से उठ गया और बोला "हां आओ मै तुम्हारा ही वेट कर रहा था" वो बोली "हां सोरी मुझे थोड़ा लेट हो गया", नमन बोला "कोई नहीं ठीक है" फिर नमन ने कहा "कॉफी?" वो बोली "सॉरी अभी नहीं मै थोड़ी जलदी में हूं आप मेरा पुर्स देदो मुझे जाना है" नमन ने कहा "हां दे दुंगा थोड़ा बैठ के कुछ बात तो कर ही सकते है", वो बोली "ज़रूर लेकिन आज नहीं फिर कभी", मैंने कहा "ठीक है लेकिन याद रखना अपनी बात अगली बार साथ में बैठ के कॉफी पीना पड़ेगा फिर मत कहना आज भी जल्दी में हूं" वो बोली "हां ठीक है अब मेरा पर्स देदो", नमन ने उसका पर्स दे दिया और बोला "मैं तुम्हे कॉल कर सकता हूं ना अगली बार मिलने के लिए" वो बोली "हां" और चली गई। नमन कुछ देर वहां रुका और फिर ऑफिस चला गया, नमन पूरी रात अनिशा क बारे में ही सोचता रहा, नमन उसे भूल ही नहीं पा रहा था, नमन को उसकी एक एक बात याद आ रही थी। अगले दिन नमन के कुछ दोस्त मिले और वो उसे बोलने लगे कि "चल आज पार्टी करते है बहोत दिन हो गए है हम दोस्तो ने साथ में पार्टी नहीं किया है", नमन ने कहा "ठीक है सब चल रहे है तो मै भी चलता हूं,?", फिर वो 5 दोस्त एक क्लब में गए, सब वहां बहोत नाचे साथ में, फिर थोड़ा ड्रिंक भी किया तभी नमन की नजर एक लड़की पर गई जो लगातार बहोत ड्रिंक कर रही थी, नमन ने ध्यान से देखा तो वो और कोई नहीं अनिशा थी, आज वो बहोत ही अलग लग रही थी, कहां उस दिन जब वो नमन से मिली थी तो सलवार कुर्ते में आई थी और आज वो शॉर्ट स्कर्ट और टॉप में है और ड्रिंक कर रही है, नमन तो बिल्कुल ही चौक गया उसे देख कर, नमन उसके पास जा ही रहा था उस से बात करने के लिए की तब तक उसके दोस्त उसका हाथ पकड़ा कर डांस करने के लिए ले कर गए, नमन की नजर अनिशा पर ही थी लेकिन थोड़ी ही देर में वो वहा से कहीं चली गई। फिर नमन ने उसे क्लब में इधर उधर धुंडा लेकिन वो नहीं मिली । घर जा कर नमन उसे कॉल किया, वो कॉल भी नहीं उठा रही थी, नमन उसे बहोत बार कॉल किया लेकिन उसने नमन का एक भी कॉल का जवाब नहीं दिया। अगले दिन फिर नमन उसी टाइम पर क्लब गया ताकि अगर वो आज आई तो वो उधर ही उससे पूछ लेगा, नमन अंदर जा कर वेट कर रहा था लेकिन वो नहीं आई आज, फिर नमन ने उसे कॉल किया इस बार उसने कॉल उठाया, कॉल उठाते ही नमन उस से पूछा "कहा हो तुम" वो बोली "क्यों क्या हुआ", मैंने उससे बोला कि "कल मैंने तुम्हे क्लब में देखा था तुम हद से ज्यादा ड्रिंक कर रही थी, क्या हुआ है, तुम्हे कोई किसी बात का टेंशन है क्या", वो बोली "नहीं और कॉल कट कर दी नमन फिर उसे कॉल लगाया तो उसने कॉल नहीं उठाया इस बार। नमन वाहा से घर चला गया, घर आ कर उसने अनिशा को मेसेज किया की "अगर तुम्हें कोई किसी बात का टेंशन है तो मुझे बता सकती हो", उसका कोई रिप्लाइ नहीं आया, 2 3 दिन हो चुके थे अभी तक अनिशा ने कुछ नहीं कहा था। नमन फिर अनिशा को कॉल किया, उसने कॉल उठाया नमन ने बड़े आराम से बोला कि "तुमने कुछ रिप्लाइ नहीं दिया मेरे मेसेज का" वो चुप ही थी , नमन ने फिर बोला "ऐसे चुप नहीं रहो कुछ बोलो कुछ परेशानी हो तो बताओ मैं तुम्हारी मदत कर सकता हूं", फिर नमन ने कहा "अच्छा चलो कल उसी कैफे में मिलो, तुम्हारा काफी बाकी है एक मुझ पे", वो "हा ठीक है" बोल कर कॉल रख दी। नमन बड़ी बेचैनी से कल का इंतजार कर रहा था। अगले दिन वो सुबह सुबह उठा अच्छे से तैयार हो कर अनिशा से मिलने के लिए निकला, आज नमन खुद टाइम से पहले आ कर इंतजार कर रहा था, थोड़ी ही देर में अनिशा आई वो बहोत सुंदर दिख रही थी आज उसने जींस टॉप पहना था और बाल वैसे ही खुले थे वो जैसे - जैसे आगे आ रही थी चल के उसके बाल उसकी आंखों के तरफ आ रहे थे वो उन्हें ठीक करती हुई आ रही थी, वो आ के नमन के सामने वाले कुर्सी पर बैठ गई, वो शांत थी नमन ने पूछा "कॉफी" वो हॉकी सी मुस्कुराहट के साथ बोली "हा"। नमन ने वेटर को कॉफी के लिए बोला और अनिशा से बोला "चलो अब बताओ क्या बात है जिससे तुम परेशान हो", पहले तो वो कुछ नहीं बोल रही थी फिर नमन ने कहा बोलो कुछ, वो बोली कि "मै मुंबई में अकेले रहती हूं यहा मै अपना कैरियर बनाने के लिए आई हूं..." ये बोलते बोलते वो चुप हो गई, मैंने कहा "हां आगे बोलो इसमें क्या हुआ ये तो अच्छी बात है तुम अपने कैरियर पे इतना ध्यान दे रही हो", फिर वो बोली "लेकिन अब नहीं हो पा रहा है, मेरा काम में बिल्कुल ध्यान नहीं रहता मुझे अपने बॉस से बहोत बार अब डाट सुन नी पड़ती है और उसने तो ये तक केह दिया है कि अगर ऐसा ही चलता रहा तो वो मुझे नौकरी से निकाल देगा, 2 महीने हो गए है मेरे इस वार्ताओं से मुझे रोज़ डाट सुनी पड़ती है"। मैंने उसे पूछा "ऐसा क्या हो गया है कि तुम इतनी परेशान रह रही हो", वो चुप हो गई फिर से, फिर थोड़ी देर बाद बोली "मुझे कैंसर हो गया है"। ये सुन कर नमन घबरा गया आगे वो बोलती रही, "2 महीने पहले मैंने चेकअप करवाया था तो डॉक्टर्स ने बोला कि मुझे कैंसर हो गया है अभी सेकंड स्टेज पर है, ये सुन कर मैं तबसे परेशान रहती हूं कि कैसे मै सब करूंगी मेरा इस दुनिया में कोई नहीं है बचपन से ही मै अनाथ हूं बस कुछ ऑफिस के दोस्त है, मै ये बात अपने ऑफ़िस में भी नहीं बता सकती कि अगर बॉस को पता चला तो वो मुझे कहीं नौकरी से निकाल ना दे, 3 महीने पहले ही मेरा प्रोमोशन हुआ है मुझे हेड ऑफ द डिपार्टमेंट बनाया है, और ये सब हो गया मै अब क्या करू कुछ समझ नहीं आ रहा है"। ये सब सुन कर नमन ने धीरे से उसका हाथ अपने हाथ में लिया और बोला "तुम अकेले नहीं हो मै तुम्हारे साथ हूं", वो चुप चाप नमन की ओर देखने लगी, नमन ने कहा "हां तुम सही सुन रही हो मै तो उसी दिन से तुम्हे पसंद करने लगा था जिस दिन तुम अपना पर्स लेने के लिए मुझसे मिलने आई थी" ये सुन कर उसने अपना हाथ पीछे कर लिया नमन ने पूछा "क्या हुआ हाथ क्यों हटा लिया तुमने", वो बोली "नहीं ये सब ठीक नहीं है मेरी ज़िन्दगी का ही भरोसा नहीं है और मै तुम्हे मेरे वजह से कोई परेशानी नहीं दे सकती", नमन उसे प्यार से समझाया कि "नहीं ! तुम मुझे कोई परेशानी नहीं दे रही हो मै तुम्हारा ध्यान रखना चाहता हूं तुम्हे अपनी ज़िन्दगी का हिस्सा बनाना चाहता हूं मै हमेशा तुम्हारे साथ रहूंगा, कभी तुम्हे अकेला नहीं छोडूंगा", वो बोली "नहीं तुम समझो कल को पता नहीं मैं रहूं या ना रहूं तुम क्यों खुद को किसी की परेशानी में डाल रहे हो", नमन उसे बहोत समझाया लेकिन वो नहीं मानी और चली गई, नमन उसके पीछे गया उसका हाथ पकड़ के रोका और उससे कहा "तुम्हें कभी भी किसी की जरूरत हो तो मै हमेशा तुम्हारे साथ रहूंगा" और फिर अनिशा चली गई, नमन उसे रोज़ उसका हाल पूछता था, वो डॉक्टर के पास चेकअप के लिए गई की नहीं टाइम पर सब दवाइयां ले रही है कि नहीं, उस दिन के बाद नमन ने कभी उसे अकेला नहीं महसूस होने दिया, नमन उसे रोज़ फोन करता था उसका हाल पूछता था 4 महीने हो चुके थे ऐसे बात करते करते। एक दिन शाम को फोन पर बात करते करते अनिशा बेहोश हो गई नमन उसे पुकारता रहा लेकिन वो कुछ नहीं बोल रही थी, नमन तुरंत उसके घर जाने के लिए निकल गया उधर पहुंचा तो देखा कि अनिशा के घर पर कोई नहीं था फिर उसके पड़ोसियों से पूछा तो पता चला वो उसे हॉस्पिटल ले कर गए है मै तुरंत हॉस्पिटल पहुंचा इंक्वायरी डेस्क पर उसके बारे में पता किया और उसके रूम के तरफ गया, वह 2,3 लोग खड़े थे जो अनिशा को हॉस्पिटल ले कर आए थे । नमन उनसे पूछा कि "क्या हुआ अनिशा को" तो वो बोले कि "अनिशा अपने घर में बेहोष हो के गिर गई थी वो तो उसके घर का दरवाज़ा थोड़ा खुला था तो एक बच्चे को बॉल खेलते खेलते उसके घर में चला गई तो हमने जा कर देखा ये बेहोश पड़ी थी,अनिशा अकेले रहती है यह, तो हम उससे हॉस्पिटल ले कर आए"। तभी आईसीयू से एक डॉक्टर बाहर आए और बोले अनिशा की हालत खराब है हमें उसका ऑपेरशन करना पड़ेगा, नमन ने पूछा ऑपरेशन के बाद अनिशा बिलुकुल ठीक हो जाएगी ना, डॉक्टर ने कहा अभी कुछ बोल नहीं सकते, नमन ने कहा डॉक्टर आप ऑपरेशन की तयारी कर लीजिए और पैसे की कोई फिकर ना करे, ये सुन कर डॉक्टर चले गए। पूरे 5 घंटे बाद ऑपरेशन रूम से डॉक्टर बाहर आए। नमन जल्दी से डॉक्टर के पास गया और पूछा "अनिशा कैसी है", डॉक्टर ने कहा "ऑपरेशन सक्सेसफुल हुआ घबराने की बात नहीं है कुछ"। नमन के जान में जान आई, उसने पूछा "क्या मै अनिशा से मिल सकता हूं", डॉक्टर ने कहा "अभी नहीं कुछ देर बाद" नमन ने कहा "ठीक है"। फिर नमन बाद में अनिशा से मिला वो नमन को देख कर रोने लगी। नमन उसके पास बैठा था, उसने कहा कि "बोला था म मैंने मै हमेशा तुम्हारे साथ रहूंगा"। ये सुन कर अनिशा और रोने लगी नमन उसे चुप कराय और कहा "अभी अभी तुम्हारा ऑपरेशन हुआ है ऐसे में तुम्हे रोना नहीं चाहिए", हम दोनों बहोत देर तक एक दूसरे का हाथ पकड़ा कर बैठे थे। फिर वो दोनो घर आए, नमन उसका बहोत ध्यान रखता था। नमन ने अनिशा के बारे में अपने घर वालो को बता दिया था। तो अब वो अनिशा के साथ ही रहता था उसका ध्यान रखता था। जब अनिशा पूरी तरह से ठीक हो गई, तब दोनों ने शादी करली और हमेशा के लिए दोनों एक साथ हो गए। ****** कहानी को ज्यादा से ज्यादा शेयर जरूर करें*****

दो पल क लिए मिलना,और प्यार हो जाना

              ❤️ दो पल क लिए मिलना,और प्यार हो जाना

क्या है ये दो पल का प्यार ??

क्या हो सकता है किसी को दो पल में किसी से प्यार? नहीं जानते? चलिए हम बताते हैं आपको...

फिर आप खुद ही अंदाज़ लगा लीजिएगा कि किसी को दो पल के मुलाकत में प्यार होता है या नहीं।

ये प्रेम कहानी बिहार मे बसी एक छोटा सा गांव महरैल की है...जितनी प्यारी ये गाँव है..उतनी ही प्यारे यहाँ के रहने वाले लोग है ।

यहाँ के लोग अपने जरूरत की समान लाने, गाँव से थोड़ा दूर बसी एक बाजार जाते है।


एक दिन महरैल गाँव के एक लड़का जिसका नाम अभिषेक है ।

वो भी रोज जाता था। एक समय आया की वो रोज सज-धज के उस बाजार जाने लगा...

अब आप पूछोगे....सज धज के क्यों जाने लगा वो ???

तो बात ये थी कि एक दिन जब वो बाजार से गुजर रहा था तो उसे एक लड़की दिखी...

अभिषेक उस लड़की से अपनी नजर हटा ही नही रहे थे....और फिर जब कुछ देर तक

नजर नहीं हटाए तो सामने से लड़की की भी नजर पड़ी उस लड़के पे...फिर क्या....दोनों एक दूसरे को देखते रहे...अब ये दो पल की


यू इस तरह देखा-देखि मैं ही शहजादे को प्यार हो गया....फिर क्या उस दिन के बाद रोज अभिषेक बाजार सज-धज के जाने लगे...और फिर वो इधर उधर

देखे जा रहा था..तभी दूसरी और से एक लड़की गुजर रही थी ..और उस लड़के क चेहरे पे मुस्कुराहट बया कर दी कि अभिषेक का दिल

इन्ही का इंतज़ार कर रहा था...वो लड़की अपने मम्मी के साथ आती थी..हाथ मे थेली थी..जिसे देख के लग रहा था कि वो भी सामान लेने आयी

है...वो लड़का उसे बस देखे जा रहा था..कुछ देर में वो चले जाती है।

ऐसे ही वो रोज बाजार आती और लड़का उस के आने से पहले

वहा आ जाता..और जब तक लड़की बाजार मे रहती वो उसे ही देखते रहता बस..

और फिर उस के जाने के बाद वो भी चला जाता....वो रोज कोशिश करता बात

करने की लेकिन वो जैसे ही बात करने जाता कि वो चल देती थी या सामने कोई आ जाता था।

वो दो पल का वक़्त मैं वो लड़का बस कोशिश

करता कि कैसे वो अपने दिल की बात उस लड़की से कहे...फिर एक दिन किस्मत ने भी उसका साथ दे दिया और एक दिन वो अकेली ही बाजार आयी बस

फिर क्या वो लड़का उस लड़की के पास गया..और उसका का करिश्मा देखो..दोनों एक साथ बोल पड़े कि...मुझे कुछ कहना है

क्या पल था वो...फिर क्या...लड़का डर गया..उसे लगा कहीं इसे बुरा न लग गया हो की मैं इसे रोज यहाँ देखता रहता हूँ या कोई और

बात..वो डर के उस लड़की के तरफ देखा..और धीमी आवाज में उसे कहा ..बोलो क्या हुआ....लड़की फिर कहती है तुम बोलो कि क्या कहना है ?


लड़का डर रहा था कुछ कहने से अब और उसने पहले उसे ही कह दिया की तुम बोलो पहले

फिर अचानक से दोनों एक ही साथ अपनी-अपनी दिल की बाते बोल दी...लड़का सुनते ही अपना होश ही खो दिया

क्योंकि उसे कभी लगा ही नही था की...लड़की भी उससे प्यार करती है।

कुदरत का खेल तो देखो...लड़की भी रोज इसीलिए आती थी कि..वो रोज उस लड़के को देख सके...प्यार दोनों मैं पहले दिन के एक पल से ही

हो गया था। लेकिन एक दूसरे को बताने का मौका नहीं मिल रहा था।

फिर क्या....रोज यही आने लगे एक दूसरे से मिलने लगे।


कुछ समय बाद दोनों ने अपने-अपने घर में बात की और दोनों ने शादी कर ली.....

और इस तरह से वो दोनों हमेशा के लिए साथ हो गए और ख़ुशी-ख़ुशी रहने लगे।

इससे ये पता चलता है कि प्यार करने में साल या महीना नहीं लग जाता है प्यार तो वो खुसी है, वो एहसास है, वो विश्वास है जो एक पल में और बस एक नजर में ही किसी को किसी से हो जाता है।

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प्यार से विवाह तक का सफर

                                          ❤️ प्यार से विवाह तक का सफर

प्यार से विवाह तक का सफर इतना लंबा होगा उन्होंने सोचा न था ।

दो युवा दिलों ने दांपत्य जीवन के सपने संजोने शुरू कर दिए थे लेकिन इंतजार की घड़ियां बढ़ती ही जा रही थीं ।

मु झे गुमसुम और उदास देप्यार ख कर मां ने कहा, ‘‘क्या बात है, रति, तू इस तरह मुंह लटकाए क्यों बैठी है? कई दिन से मनोज का भी कोई फोन नहीं आया । दोनों ने आपस में झगड़ा कर लिया क्या?’’

‘नहीं, मां, रोज रोज क्या बात करें ।


कितने दिनों से शादी की तैयारी कर रहे थे, सब व्यर्थ हो गई. यदि मनोज के दादाजी की मौत न हुई होती तो आज तेरी शादी को 15 दिन हो चुके होते । वह काफी बूढ़े थे । तेरहवीं के बाद शादी हो सकती थी पर तेरे ससुराल वाले बड़े दकियानूसी विचारों के हैं । कहते हैं कि साए नहीं हैं । अब तो 5-6 महीने बाद ही शादी होगी ।

हमारी तो सब तैयारी व्यर्थ हो गई । शादी के कार्ड बंट चुके थे । फंक्शन हाल को, कैटरर्स को, सजावट करने वालों को, और भी कई लोगों को एडवांस पेमेंट कर चुके थे । 6 महीने शादी सरकाने से अच्छाखासा नुकसान हो गया है ।


इसी बात से तो मनोज बहुत डिस्टर्ब है, मां. पर कुछ कह नहीं पाता ।

बेटा, हम भी कभी तुम्हारी उम्र के थे । तुम दोनों के एहसास को समझ सकते हैं, पर हम चाह कर भी कुछ नहीं कर सकते । मैं ने तो तेरी सास से कहा भी था कि साए नहीं हैं तो क्या हुआ, अच्छे काम के लिए सब दिन शुभ होते हैं…अब हमें शादी कर देनी चाहिए ।


मेरा इतना कहना था कि वह तो भड़क गईं और कहने लगीं, आप के लिए सब दिन शुभ होते होंगे पर हम तो सायों में भरोसा करते हैं । हमारा इकलौता बेटा है, हम अपनी तरफ से पुरानी मान्यताओं को अनदेखा कर मन में कोई वहम पैदा नहीं करना चाहते ।

रति सोचने लगी कि मम्मी इस से ज्यादा क्या कर सकती हैं और मैं भी क्या करूं, मम्मी को कैसे बताऊं कि मनोज क्या चाहता है ।


नर्सरी से इंटर तक हम दोनों साथसाथ पढ़े थे । किंतु दोस्ती इंटर में आने के बाद ही हुई थी । इंटर के बाद मनोज इंजीनियरिंग करने चला गया और मैं ने बी.एससी. में दाखिला ले लिया था । कालिज अलग होने पर भी हम दोनों छुट्टियों में कुछ समय साथ बिताते थे । बीच में फोन पर बातचीत भी कर लेते थे । कंप्यूटर पर चैट हो जाती थी ।

एम.एससी. में आते ही मम्मीपापा ने शादी के लिए लड़का तलाशने की शुरुआत कर दी मैं ने कहा भी कि मम्मी, एम.एससी. के बाद शादी करना पर उन का कहना था कि तुम अपनी पढ़ाई जारी रखो, शादी कौन सी अभी हुई जा रही है, अच्छा लड़का मिलने में भी समय लगता है ।


शादी की चर्चा शुरू होते ही मनोज की छवि मेरी आंखों में तैर गई थी । यों हम दोनों एक अच्छे मित्र थे पर तब तक शादी करने के वादे हम दोनों ने एकदूसरे से नहीं किए थे । साथ मिल कर भविष्य के सपने भी नहीं देखे थे पर मम्मी द्वारा शादी की चर्चा करने पर मनोज का खयाल आना, क्या इसे प्यार समझूं. क्या मनोज भी यही चाहता है, कैसे जानूं उस के दिल की बात ।


मुलाकात में मनोज से मम्मी द्वारा शादी की पेशकश के बारे में बताया तो वह बोला, ‘‘इतनी जल्दी शादी कर लोगी, अभी तो तुम्हें 2 वर्ष एम.एससी. करने में ही लगेंगे,’’ फिर कुछ सोचते हुए बोला था, ‘‘सीधेसीधे बताओ, क्या मुझ से शादी करोगी…पर अभी मुझे सैटिल होने में कम से कम 2-3 वर्ष लगेंगे ।

प्रसन्नता की एक लहर तनमन को छू गई थी, ‘‘सच कहूं मनोज, जब मम्मी ने शादी की बात की तो एकदम से मुझे तुम याद आ गए थे…क्या यही प्यार है?’’


मैं समझता हूं यही प्यार है देखो, जो बात अब तक नहीं कह सका था, तुम्हारी शादी की बात उठते ही मेरे मुंह पर आ गई और मैं ने तुम्हें प्रपोज कर डाला ।

अब जब हम दोनों एकदूसरे से चाहत का इजहार कर ही चुके हैं तो फिर इस विषय में गंभीरता से सोचना होगा ।

सोचना ही नहीं होगा रति, तुम्हें अपने मम्मीपापा को इस शादी के लिए मनाना भी होगा ।

‘‘क्या तुम्हारे घर वाले मान जाएंगे?’’


देखो, अभी तो मेरा इंजीनियरिंग का अंतिम साल है । मेरी कैट की कोचिंग भी चल रही है…उस की भी परीक्षा देनी है । वैसे हो सकता है इस साल किसी अच्छी कंपनी में प्लेसमेंट मिल जाए क्योंकि कालिज में बहुत सी कंपनियां आती हैं और जौब आफर करती है । अच्छा आफर मिला तो मैं स्वीकार कर लूंगा और जैसे ही शादी की चर्चा शुरू होगी मैं तुम्हारे बारे में बता दूंगा ।


प्यार का अंकुर तो हमारे बीच पनप ही चुका था और हमारा यह प्यार अब जीवनसाथी बनने के सपने भी देखने लगा था । अब इस का जिक्र अपनेअपने घर में करना जरूरी हो गया था ।

मैं ने मम्मी को मनोज के बारे में बताया तो वह बोलीं, ‘‘वह अपनी जाति का नहीं है…यह कैसे हो सकता है, तेरे पापा तो बिलकुल नहीं मानेंगे क्या मनोज के मातापिता तैयार हैं?’’

अभी तो इस बारे में उस के घर वाले कुछ नहीं जानते फाइनल परीक्षा होने तक मनोज को किसी अच्छी कंपनी में जौब का आफर मिल जाएगा और रिजल्ट आते ही वह कंपनी ज्वाइन कर लेगा. उस के बाद ही वह अपने मम्मीपापा से बात करेगा ।


‘‘क्या जरूरी है कि वह मान ही जाएंगे?’’

‘‘मम्मी, मुझे पहले आप की इजाजत चाहिए ।’’

यह फैसला मैं अकेले कैसे ले सकती हूं…तुम्हारे पापा से बात करनी होगी…उन से बात करने के लिए मुझे हिम्मत जुटानी होगी. यदि पापा तैयार नहीं हुए तो तुम क्या करोगी?’’

‘करना क्या है मम्मी, शादी होगी तो आप के आशीर्वाद से ही होगी वरना नहीं होगी ।

इधर मेरा एम.एससी. फाइनल शुरू हुआ उधर इंजीनियरिंग पूरी होते ही मनोज को एक बड़ी कंपनी में अच्छा स्टार्ट मिल गया था और यह भी करीबकरीब तय था कि भविष्य मेें कभी भी कंपनी उसे यू.एस. भेज सकती है. मनोज के घर में भी शादी की चर्चा शुरू हो गई थी ।


मैं ने मम्मी को जैसेतैसे मना लिया था और मम्मी ने पापा को किंतु मनोज की मम्मी इस विवाह के लिए बिलकुल तैयार नहीं थीं । इस फैसले से मनोज के घर में तूफान उठ खड़ा हुआ था । उस के घर में पापा से ज्यादा उस की मम्मी की चलती है । ऐसा एक बार मनोज ने ही बताया था…मनोज ने भी अपने घर में ऐलान कर दिया था कि शादी करूंगा तो रति से वरना किसी से नहीं ।

आखिर मनोज के बहनबहनोई ने अपनी तरह से मम्मी को समझाया था, ‘‘मम्मी, आप की यह जिद मनोज को आप से दूर कर देगी, आजकल बच्चों की मानसिक स्थिति का कुछ पता नहीं चलता कि वह कब क्या कर बैठें । आज के ही अखबार में समाचार है कि मातापिता की स्वीकृति न मिलने पर प्रेमीप्रेमिका ने आत्महत्या कर ली…वह दोनों बालिग हैं. मनोज अच्छा कमा रहा है । वह चाहता तो अदालत में शादी कर सकता था पर उस ने ऐसा नहीं किया और आप की स्वीकृति का इंतजार कर रहा है अब फैसला आप को करना है ।


मनोज के पिता ने कहा था, ‘‘बेटा, मुझे तो मनोज की इस शादी से कोई एतराज नहीं है…लड़की पढ़ीलिखी है, सुंदर है, अच्छे परिवार की है… और सब से बड़ी बात मनोज को पसंद है । बस, हमारी जाति की नहीं है तो क्या हुआ पर तुम्हारी मम्मी को कौन समझाए ।

‘‘जब सब तैयार हैं तो मैं ही उस की दुश्मन हूं क्या…मैं ही बुरी क्यों बनूं? मैं भी तैयार हूं ।’’

मम्मी का इरादा फिर बदले इस से पहले ही मंगनी की रस्म पूरी कर दी गई थी । तय हुआ था कि मेरी एम.एससी. पूरी होते ही शादी हो जाएगी ।

मंगनी हुए 1 साल हो चुका थ । शादी की तारीख भी तय हो चुकी थी । मनोज के बाबा की मौत न हुई होती तो हम दोनों अब तक हनीमून मना कर कुल्लूमनाली, शिमला से लौट चुके होते और 3 महीने बाद मैं भी मनोज के साथ अमेरिका चली जाती ।


पर अब 6-7 महीने तक साए नहीं हैं अत: शादी अब तभी होगी ऐसा मनोज की मम्मी ने कहा है । पर मनोज शादी के टलने से खुश नहीं है । इस के लिए अपने घर में उसे खुद ही बात करनी होगी । हां, यदि मेरे घर से कोई रुकावट होती तो मैं उसे दूर करने का प्रयास करती ।

पर मैं क्या करूं माना कि उस के भी कुछ जजबात हैं 4-5 वर्षों से हम दोस्तों की तरह मिलते रहे हैं, प्रेमियों की तरह साथसाथ भविष्य के सपने भी बुनते रहे हैं किंतु मनोज को कभी इस तरह कमजोर होते नहीं देखा । यद्यपि उस का बस चलता तो मंगनी के दूसरे दिन ही वह शादी कर लेता पर मेरा फाइनल साल था इसलिए वह मन मसोस कर रह गय ।


प्रतीक्षा की लंबी घडि़यां हम कभी मिल कर, कभी फोन पर बात कर के काटते रहे । हम दोनों बेताबी से शादी के दिन का इंतजार करते रहे. दूरी सहन नहीं होती थी । साथ रहने व एक हो जाने की इच्छा बलवती होती जाती थी. । जैसे-जैसे समय बीत रहा था, सपनों के रंगीन समुंदर में गोते लगाते दिन मंजिल की तरफ बढ़ते जा रहे थे । शादी के 10 दिन पहले हम ने मिलना भी बंद कर दिया था कि अब एकदूसरे को दूल्हादुलहन के रूप में ही देखेंगे पर विवाह के 7 दिन पहले बाबाजी की मौत हमारे सपनों के महल को धराशायी कर गई ।

बाबाजी की मौत का समाचार मुझे मनोज ने ही दिया था और कहा था, ‘‘बाबाजी को भी अभी ही जाना था । हमारे बीच फिर अंतहीन मरुस्थल का विस्तार है । लगता है, अब अकेले ही अमेरिका जाना पडे़ग । तुम से मिलन तो मृगतृष्णा बन गया है ।


तेरहवीं के बाद हम दोनों गार्डन में मिले थे. वह बहुत भावुक हो रहा था, ‘‘रति, तुम से दूरी अब सहन नहीं होती. मन करता है तुम्हें ले कर अनजान जगह पर उड़ जाऊं, जहां हमारे बीच न समाज हो, न परंपराएं हों, न ये रीतिरिवाज हों । 2 प्रेमियों के मिलन में समाज के कायदे- कानून की इतनी ऊंची बाड़ खड़ी कर रखी है कि उन की सब्र की सीमा ही समाप्त हो जाए. चलो, रति, हम कहीं भाग चलें…मैं तुम्हारा निकट सान्निध्य चाहता हूं । इतना बड़ा शहर है, चलो, किसी होटल में कुछ घंटे साथ बिताते हैं ।


जो हाल मनोज का था वही मेरा भी था । एक मन कहता था कि अपनी खींची लक्ष्मण रेखा को अब मिटा दें किंतु दूसरा मन संस्कारों की पिन चुभो देता कि बिना विवाह यह सब ठीक नहीं । वैसे भी एक बार मनोज की इच्छा पूरी कर दी तो यह चाह फिर बारबार सिर उठाएगी, ‘‘नहीं, यह ठीक नहीं ।


‘‘क्या ठीक नहीं, रति. क्या तुम को मुझ पर विश्वास नहीं? पतिपत्नी तो हमें बनना ही है । मेरा मन आज जिद पर आया है, मैं भटक सकता हूं, रति, मुझे संभाल लो,’’ गार्डन के एकांत झुटपुटे में उस ने बांहों में भर कर बेतहाशा चूमना शुरू कर दिया था । मैं ने भी आज उसे यह छूट दे दी थी ताकि उस का आवेग कुछ शांत हो किंतु मनोज की गहरीगहरी सांसें और अधिक समा जाने की चाह मुझे भी बहकाए उस से पूर्व ही मैं उठ खड़ी हुई ।


अपने को संभालो, मनोज । यह भी कोई जगह है बहकने की? मैं भी कोई पत्थर नहीं, इनसान हूं…कुछ दिन अपने को और संभालो ।

‘‘इतने दिन से अपने को संभाल ही तो रहा हूं ।’’

‘‘जो तुम चाह रहे हो वह हमारी समस्या का समाधान तो नहीं है । स्थायी समाधान के लिए अब हाथपैर मारने होंगे. चलो, बहुत जोर से भूख लगी है, एक गरमागरम कौफी के साथ कुछ खिला दो, फिर इस बारे में कुछ मिल कर सोचते हैं ।’’

रेस्टोरेंट में बैरे को आर्डर देने के बाद मैं ने ही बात शुरू की, ‘‘मनोज, तुम्हें अब एक ही काम करना है… किसी तरह अपने मातापिता को जल्दी शादी के लिए तैयार करना है, जो बहुत मुश्किल नहीं. आखिर वे हमारे शुभचिंतक हैं, तुम ने उन से एक बार भी कहा कि शादी इतने दिन के लिए न टाल कर अभी कर दें ।’’ ‘‘नहीं, यह तो नहीं कहा ।’’


‘‘तो अब कह दो. कुछ पुराना छोड़ने और नए को अपनाने में हरेक को कुछ हिचक होती है । अपनी इंटरकास्ट मैरिज के लिए आखिर वह तैयार हो गए न तुम देखना बिना सायों के शादी करने को भी वह जरूर मान जाएंगे ।’’

मनोज के चेहरे पर खुशी की एक लहर दौड़ गई थी, ‘‘तुम ठीक कह रही हो रति, यह बात मेरे ध्यान में क्यों नहीं आई? खाने के बाद तुम्हें घर पर छोड़ देता हूं. कोर्ट मैरिज की डेट भी तो पास आ गई है, उसे भी आगे नहीं बढ़ाने दूंगा ।’’


‘‘ठीक है, अब मैरिज वाले दिन कोर्ट में ही मिलेंगे ।’’

‘‘मेरे आज के व्यवहार से डर गईं क्या? इस बीच फोन करने की इजाजत तो है या वह भी नहीं है?’’

‘‘चलो, फोन करने की इजाजत दे देते हैं ।’’

रजिस्ट्रार के आफिस में मैरिज की फार्र्मेलिटी पूरी होने के बाद हम दोनों अपने परिवार के साथ बाहर आए तो मनोज के जीजाजी ने कहा, ‘‘मनोज, अब तुम दोनों की शादी पर कानून की मुहर लग गई है । रति अब तुम्हारी हुई ।’’


‘‘ऐ जमाई बाबू, ये इंडिया है, वह तो वीजा के लिए यह सब करना पड़ा है वरना इसे हम शादी नहीं मानते । हमारे घर की बहू तो रति विवाह संस्कार के बाद ही बनेगी,’’ मेरी मम्मी ने कहा ।

‘‘वह तो मजाक की बात थी, मम्मी, अब आप लोग घर चलें । मैं तो इन दोनों से पार्टी ले कर ही आऊंगा ।’’

होटल में खाने का आर्डर देने के बाद मनोज ने अपने जीजाजी से पूछा, ‘‘जीजाजी, मम्मी तक हमारी फरियाद अभी पहुंची या नहीं?’’


‘‘साले साहब, क्यों चिंता करते हो. हम दोनों हैं न तुम्हारे साथ. अमेरिका आप दोनों साथ ही जाओगे । मैं ने अभी बात नहीं की है, मैं आप की इस कोर्ट मैरिज हो जाने का इंतजार कर रहा था । आगे मम्मी को मनाने की जिम्मेदारी आप की बहन ने ली है । इस से भी बात नहीं बनी तो फिर मैं कमान संभालूंगा ’’

‘‘हां, भैया, मैं मम्मी को समझाने की पूरी कोशिश करूंगी । ’’

हां, तू कोशिश कर ले, न माने तो मेरा नाम ले कर कह देना, ‘आप अब शादी करो या न करो भैया भाभी को साथ ले कर ही जाएंगे ।


‘‘वाह भैया, आज तुम सचमुच बड़े हो गए हो ।’’

‘‘आफ्टर आल अब मैं एक पत्नी का पति हो गया हूं ।’’

‘‘ओके, भैया, अब हम लोग चलेंगे, आप लोगों का क्या प्रोग्राम है?’’

‘‘कुछ देर घूमघाम कर पहले रति को उस के घर छोडूंगा फिर अपने घर जाऊंगा ।’’

मेरे गले में बांहें डालते हुए मनोज ने शरारत से देखा, ‘‘हां, रति, अब क्या कहती हो, तुम्हारे संस्कार मुझे पति मानने को तैयार हैं या नहीं?’’


आंखें नचाते हुए मैं चहकी, ‘‘अब तुम नाइंटी परसेंट मेरे पति हो ।’’

‘‘यानी टैन परसेंट की अब भी कमी रह गई है…अभी और इंतजार करना पडे़गा?’’

‘‘उस दिन का मुझे अफसोस है मनोज…पर अब मैं तुम्हारी हूं । ’’


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प्यार में बदला खुद को

                      ❤️ प्यार में बदला खुद को

पत्नी ने पति से कहा, "कितनी देर तक समाचार पत्र पढ़ते रहोगे ?

यहाँ आओ और अपनी प्यारी बेटी को खाना खिलाओ"

पति ने समाचार पत्र एक तरफ़ फेका और बेटी की ध्यान दिया,बेटी की आंखों में आँसू थे और सामने खाने की प्लेट... ।

बेटी एक अच्छी लड़की है और अपनी उम्र के बच्चों से ज्यादा समझदार ।

पति ने खाने की प्लेट को हाथ में लिया और बेटी से बोला,"बेटी खाना क्यों नहीं खा रही हो?


आओ बेटी मैं खिलाऊँ."

बेटी जिसे खाना नहीं भा रहा था, सुबक सुबक कर रोने लगी और कहने लगी,"मैं पूरा खाना खा लूँगी पर एक वादा करना पड़ेगा आपको." ।

"वादा", पति ने बेटी को समझाते हुआ कहा, "इस प्रकार कोई महँगी चीज खरीदने के लिए जिद नहीं करते." ।

"नहीं पापा, मैं कोई महँगी चीज के लिए जिद नहीं कर रही हूँ." फिर बेटी ने धीरे धीरे खाना खाते हुये कहा,

"मैं अपने सभी बाल कटवाना चाहती हूँ." ।

पति और पत्नी दोनों अचंभित रह गए और बेटी को बहुत समझाया कि लड़कियों के लिए सिर के सारे बाल कटवा कर गंजा होना अच्छा नहीं लगता है ।


पर बेटी ने जवाब दिया, "पापा आपके कहने पर मैंने सड़ा खाना, जो कि मुझे अच्छा नहीं लग रहा था, खा लिया और अब

वादा पूरा करने की आपकी बारी है." ।

अंततः बेटी की जिद के आगे पति पत्नी को उसकी बात माननी ही पड़ी ।

अगले दिन पति बेटी को स्कूल छोड़ने गया ।


बेटी गंजी बहुत ही अजीब लग रही थे. स्कूल में एक महिला ने पति से कहा, "आपकी बेटी ने एक बहुत ही बड़ा काम किया है ।

मेरा बेटा कैंसर से पीड़ित है और इलाजमें उसके सारे बाल खत्म हो गए हैं ।

वह् इस हालत में स्कूल नहीं आना चाहता था क्योंकि स्कूल में लड़के उसे चिढ़ाते हैं. पर आपकी बेटी ने कहा कि वह् भी गंजी होकर स्कूल आयेगी और वह् आ गई ।

इस कारण देखिये मेरा बेटा भी स्कूल आ गया ।

आप धन्य हैं कि आपके ऐसी बेटी है " ।

पति को यह सब सुनकर रोना आ गया और उसने मन ही मन सोचा कि आज बेटी ने सीखा दिया कि प्यार क्या होता है ।


इस पृथ्वी पर खुशहाल वह नहीं हैं जो अपनी शर्तों पर जीते हैं बल्कि खुशहाल वे हैं

जो, जिन्हें वे प्यार करते हैं, उनके लिए बदल जाते है !


प्यार के लिए जो ख़ुशी से खुद को बदल दे वो ही सच्चा प्यार होता है।
अगर खुद को बदलना एक मजबूरी लगे तो वो प्यार नहीं एक समझौता है।


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अधूरे प्यार की एक अधूरी कहानी

 प्यार वो एहसास है, जो हर किसी को नहीं होता।

प्यार वो महसूस है। जिसके अंदर खो जाने का दिल करता है। यही एक एहसास मैं आपको बताना चाहता हूँ।

शाम का समय था। मैं अपने दोस्त का इंतजार कर रहा था। स्टेशन के बाहर।

हमलोग का बाहर कही घूमने जाने का प्लान था और मैं जल्दी पहुँच गया था।

कुछ समझ नही आ रहा था की मैं क्या करूँ। मैं स्टेशन के पास जा के बैठ गया, तभी कुछ ऐसा हुआ कि मेरी जिन्दगी एक अलग मोड़ लेने वाली थी।

स्टेशन की तरफ मैं देख रहा था की मेरा दोस्त आया की नहीं तभी अचानक से मेरी नज़र एक लड़की पर पड़ी।


वो जो वक़्त था मैं पूरी तरह कुछ देर के लिए थम सा गया था। मैं सब भूल गया था की मैं कहा हूँ क्यों हूँ ?

बस मेरी आँखे उस लड़की की तरफ से हट ही नहीं रही थी और इस तरह से मैं उसे देखता ही जा रहा था ।

उसकी मासूम चेहरा, उसकी छोटी-छोटी आंखी, उसके मासूम सा चेहरे पे वो मासूम सी उसकी हंसी जैसे मानो कोई परी हो वो..उसे देख पहली नज़र मे मानो दिल को कुछ होने लगा था।

क्या वो प्यार था??


मुझे नहीं पता बस दिल बोल रहा था कि मेरा दोस्त कुछ देर बाद आये या ये वक़्त रुक जाए।

मुझे उसका नाम जानना था। उसके बारे में बहुत कुछ पता करने को दिल कर रहा था लेकिन कैसे करूँ ये समझ ही नहीं आ रहा था।


जब कुछ समझ नहीं आया तब मैंने बस भगवान से प्रार्थना किया की मुझे ये लड़की मेरी जिन्दगी में चाहिए।

वो जा रही थी। मेरी आँखों से दूर मुझे रोकना था उसे। उससे बातें करना था। उससे दोस्ती करनी थी और उसे अपने दिल की बात बतानी थी।

लेकिन कैसे ???


मैंने फिर सोच लिया कि मेरी आँखों से दूर होने से पहले मुझे इसका नाम पता चल जाये तो मैं इससे अपना बनूँगा और शायद भगवान् ने ही उसे भेजा होगा मेरे लिए ये मैं समझूंगा तभी भगवन ने चमत्कार कर दिया..पीछे से आवाज आया प्रिया मैं यहां हूँ।

फिर वो पीछे देखि तो मैंने देखा वहां से एक लड़की आवाज दी और वो उस क पास चली गयी..तभी मैं समझा उस लड़की का नाम प्रिया था।


मैं खुश हो गया और उस लड़की को मन किया जा के धन्यवाद बोल दू क्योंकि उसी के वजह से मुझे उस का नाम पता चला।

बस तभी मैंने ठान ली अब उसे अपना बनाना है, उसे अपनी जिन्दगी में लाना है।

फिर तभी मै उसके पिछे जाने लगा कि अचानक ही पीछे से एक हाथ आया।

पीछे देखा तो दोस्त आ गया था। अब मैं क्या करूँ समझ नहीं आ रहा था..मैं क्या बोलूँ उससे..कैसे मना करूँ उससे?..कैसे जाऊ मैं उस के पीछे ?


मैं इसी सोच में लगा रहा रहा तब तक वो मेरी आँखों से दूर जा चुकी थी दिल मानो रोने लगा था और तभी मानो ऐसा लगा कि जैसे सब कुछ एक सपना सा था बस और आँखे खुल गया तो सपना टूट गया।

मैं वहा से चला तो गया अपने दोस्त के साथ लेकिन पूरी रास्ते बस उसी के बारे में सोचता रहा।

मानो मेरा दिल अब उसके ख्याल से निकलने को तैयार ही नहीं था।

दूसरे दिन मैं कॉलेज लिए तैयार हो गया और मैं कॉलेज पंहुचा।


और बेंच पे जा क बैठ गया..तभी दोस्त ने बुलाया और कहा देख अपने कॉलेज में एक नई लड़की आयी है।

मेरा मन अभी भी बस उसी के ख्यालों मे डूबा हुआ था। आँखों से उस का चेहरा मनो हट ही नही रहा था...वो बार बार मुझे आवाज दिये जा रही था।

तभी मुझे गुस्सा आया और पीछे उससे बोलने जा ही रहा था कि मैं रुक सा गया।

मेरी नजर मानो फिर से एक बार सपनों मे चला गया। मैंने देखा की वही थी।

मानो जैसे मेरी ख़ुशी का कोई ठिकाना नहीं रहा मैं खुद को रोक ही नहीं पा रहा था और मेरे समझ में ही नहीं आ रहा था की मैं क्या करू ?


क्या बोलता मैं, बस जा के अपने दोस्त के गले लग गया..और हंसने लगा...तभी पता चला वही वह नई लड़की थी जो कॉलेज में आज पहला दिन आयी थी।

मैं तो मानो हवा मे उड़ने लगा..फिर मैंने एक दिन अपने दोस्त को बताया की ऐसा ऐसा है..उसने कहा जा के बोल दे उसे अपने दिल की बात..

लेकिन मैं डरता था। कि वो क्या कहेगी..क्या लगेगा उसे..यही सोच के मैं हमेशा रुक जाता था।

मैं सोचने लगता था कि कही वो मेरी बातें सुन के मुझसे दूर न हो जाए।

मैं उससे दूर नहीं होना चाहता था।


मुझे ये एहसास हो गया था कि शायद वो भी मुझे पसंद करती थी। लेकिन वो कभी कुछ नहीं कहती थी। उससे लगता कि मेरे मन

मै उस क लिए कुछ नहीं है। लेकिन वो क्या जाने कि उसे पहली नजर में देख के ही मैंने उसे अपना दिल दे चुका था।

दिन बीतते गए हमलोग एक अच्छे दोस्त की तरह साथ रहते और बाते करते थे..लेकिन न कभी मुझे हिम्मत हुआ उससे कुछ भी कहने का ना और ही उसे ....वक़्त बीत गया और इस तरह हमलोग की पढ़ाई पूरी हो गयी।

लेकिन मेरे दिल मे उसके के लिए अभी भी पहला और आखरी प्यार था और शायद उस के लिए भी। और इस तरह से

हमे सबको अलग अलग कंपनी मे जॉब लग गई थी तभी बस एक दिन मैंने सोच लिया कि अब बस.. मैं उससे कल जा के दिल की बात बता ।


दूंगा.... मैं अगले दिन सुबह उठा और मैंने उसे फ़ोन किया और उससे कहा की मुझे मिलना है उससे ..उसने मिलने क लिए हां कर दिया और इस बात से मुझे बहुत ख़ुशी मिला।

हमलोग ने एक समय निर्धारित किया था और मैं समय से पहले वहां उसका इंतजार कर रहा था ....तभी मेरी नजर उस पे पड़ी.. वही कपडे..वही बैग..

वही छोटी-छोटी आँखे और चेहरे पे वही प्यारी से मुस्कान, मानो ऐसा लग रहा था..की वही पहला दिन हो..जब मैंने उसे पहली बार देखा था..वो धीरे धीरे आ रही थी।

मैं तो बस उसे देखता ही जा रहा था..फिर वो पास आती है..फिर वो मेरे सामने बैठ जाती है..तभी बस..मैंने उससे कहा की मुझे कुछ कहना है उससे।

फिर तभी उसने भी कह दिया की मुझे भी कुछ कहना है तुम्हें ...मैं खुश हो गया.. मुझे लगा की आज वो भी अपने दिल की बात बोल देगी...फिर मैंने उससे कहा

दिया कि तुम पहले बोल दो...उसने तो पहले मना किया पहले बोलने से..लेकिन मैंने ही जिद कर दिया... कि पहले तुम बोले और वो बोलने जा रही थी।


मानो मेरी सांस रुक गए थे..उसकी बाते सुनने क लिये...सब कुछ थम सा गया...बस ऐसा लगा मैं और वो..और कुछ नही है आस-पास...फिर

उसने अपने बैग से एक कार्ड निकाला..और दिया मुझे...वो जो पल था।

वही पहला पल..जब मुझे लगा कि मेरा सपना था..और सपना टूट

गया...उस कार्ड मैं उसकी शादी का आमंत्रण था...बस..फिर क्या..सब कुछ वहीं रुक गया.... शायद मैंने बहुत देर कर दी उससे अपनी दिल की बात बताने मे..श्याद बहोत-बहोत देर... फिर उसने मुझसे पूछा.. कि तुम क्या कहना चाहते थे ?

मैं क्या कहता तब..बात बदल दी..और वो चली गयी...और मैं वही बैठे रह गया....मुझे उसे अपना बनाने का बस एक सपना ही था शायद.......जो एक समय पे आ क टूट गया....वो आज का दिन और

पहला दिन...मानो क्यों आया था मेरी जिन्दगी मैं अब तक ये बात समझ नही आया....

पहला दिन भी एक सपने की तरह आई और कुछ देर बाद टूट गयी...और ये आज का पल..जो फिर से एक सपना बनकर पल मै टूट गया........

इसीलिए दोस्तों कभी भी अपनी दिल की बात बताने मे देर ना करो... वरना इतना देर हो जाता है कि....अपने प्यार को बस सपने मैं ही अपना बनाना पड़ जाता है...

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